फिलॉसफर लहरों का बनना, बिगड़ना, आना, और वापस लौट जाना धीरज को उलझाये हुए था. उसने अपनी नज़र घुमाई तो देखा कि वाणी सामने की ओर देख रही है. मुग्ध, स्थिर. Saturday, 9 December 2017 read
मैडम क्यूरी: इश्क़ और रेडिएशन “मैडम क्यूरी, मैं अल्बर्ट आइन्स्टीन हूँ”मेरी क्यूरी ने चौंककर पीछे देखा. Tuesday, 4 July 2017 read
मन के कोने मेरे मन में ढेर सारे कोने हैं मैं कुछ कोनों को जानता हूँ और कुछ कोने मुझे Thursday, 4 May 2017 read
'आवाजें सूखती हैं पहले और फिर जा झुलसती हैं' अभी अभी संजीव का उपन्यास पढ़ा - 'फाँस'. इस किताब से गुज़रते हुए जो अनुभूतियाँ हुई हैं, Sunday, 26 March 2017 read