"अहा! तुम लौट आए."
"लौटा तो हूँ, पर ठहरूँगा नहीं."
"पता है मुझे. कोई नहीं ठहरता. सबको जाने की ज़िद है. जिससे रुकने की मिन्नतें करो, उसे तो और जल्दी है."
"तुम क्यों रुकी हो?"
"मैं रुकी नहीं हूँ. इंतज़ार कर रही हूँ. इंतज़ार करना रुकना नहीं है."
"तुम्हें कैसे पता जिसका इंतज़ार कर रही हो वो आएगा."
"आ तो गए हो तुम. "
"मैं रास्ते में ही हूँ अभी, नहीं आया तुम्हारे पास."
"इसीलिए तो कहा इंतज़ार कर रही हूँ. तुम आकर भी नहीं आए. आधा सफ़र मुझे तय करना होगा. "
"तुम्हें मुझ पर भरोसा है या ख़ुद पर?"
"अपने भरोसे पर. कैसे हो तुम ?"
"थका हूँ. नींद आ रही है. तुम कैसी हो ?"
"अधूरी. रात काटनी है उनींदी आँखों में. "
"लौटा तो हूँ, पर ठहरूँगा नहीं."
"पता है मुझे. कोई नहीं ठहरता. सबको जाने की ज़िद है. जिससे रुकने की मिन्नतें करो, उसे तो और जल्दी है."
"तुम क्यों रुकी हो?"
"मैं रुकी नहीं हूँ. इंतज़ार कर रही हूँ. इंतज़ार करना रुकना नहीं है."
"तुम्हें कैसे पता जिसका इंतज़ार कर रही हो वो आएगा."
"आ तो गए हो तुम. "
"मैं रास्ते में ही हूँ अभी, नहीं आया तुम्हारे पास."
"इसीलिए तो कहा इंतज़ार कर रही हूँ. तुम आकर भी नहीं आए. आधा सफ़र मुझे तय करना होगा. "
"तुम्हें मुझ पर भरोसा है या ख़ुद पर?"
"अपने भरोसे पर. कैसे हो तुम ?"
"थका हूँ. नींद आ रही है. तुम कैसी हो ?"
"अधूरी. रात काटनी है उनींदी आँखों में. "
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