“Truth is Subjective.”
इतना कहकर वह हौले से मुस्कुराया. एक क्षण को सन्नाटा छा गया.
ज़िन्दगी अक्सर बेतुकी बातों में ही अपने छंद संजो जाती है, जिन्हें पाने के लिए हम कितने ही प्रयत्न करते रहते हैं.कहानी शुरू होती है. एक सत्रह बरस का लड़का और चौदह बरस की लड़की.