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एक Unlearner की डायरी

"आँखें खोलो!" 

वह अपनी पूरी ताकत से चिल्लाया. सब डर गए. कोई नहीं सो रहा था पर वह बता रहा था कि तुम सब आँखें बंद किये सो रहे हो. कुछ लोगों को छोड़कर पूरी दुनिया सो रही है. और इसीलिए वह चिल्ला रहा है, शोर मचा रहा है. उसे नहीं पता कि दुनिया किसी दिन जागेगी भी या नहीं पर इस क्लासरूम की दीवारों के भीतर जो कहानियाँ आकार ले रही हैं वह उनके भीतर किसी अँधेरे कमरे में बंद रौशनी को आज़ाद करना चाहता है. हाँ, वह खुद परेशान है और इन चैन से सोए लोगों की नींद तोड़ कर उन्हें भी परेशान करना चाहता है.

Saturday, 30 July 2016