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बचपन से जो कुछ भी सीखा है और दुनिया ने सिखाया है उस ज्ञान को भुलाना चाहता हूँ और इसी चाहत में मैं खुद से रोज़ इक जंग लड़कर हार ...
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फ़र्ज़ कीजिए कि आप गिर रहे हों एक अंतहीन खाई में
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प्रेम कहानी और वह भी बेतुकी सी. ज़िन्दगी अक्सर बेतुकी बातों में ही अपने छंद संजो जाती है, जिन्हें पाने के लिए हम कितने ही प्रयत्न करते रह...
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वे किस्से सुनाती हैं अंधेरों के बिखरने की रौशनी के रेशे उधेड़ कर देखती हैं अनगिनत बंद दरवाज़े पागलों सी आवाजें कौन आवाजें? आवाजें..
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"अहा! तुम लौट आए." "लौटा तो हूँ, पर ठहरूँगा नहीं."
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लहरों का बनना, बिगड़ना, आना, और वापस लौट जाना धीरज को उलझाये हुए था. उसने अपनी नज़र घुमाई तो देखा कि वाणी सामने की ओर देख रही है. मुग्ध, स्थि...
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बीतते वर्ष की कितनी बातें फिर यादें ही बन जाती हैं और नई पुरानी यादों में इक होड़ सी ठन जाती है
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तुमने जो
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बचपन से जो कुछ भी सीखा है और दुनिया ने सिखाया है उस ज्ञान को भुलाना चाहता हूँ और इसी चाहत में मैं खुद से रोज़ इक जंग लड़कर हार ...
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फ़र्ज़ कीजिए कि आप गिर रहे हों एक अंतहीन खाई में
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प्रेम कहानी और वह भी बेतुकी सी. ज़िन्दगी अक्सर बेतुकी बातों में ही अपने छंद संजो जाती है, जिन्हें पाने के लिए हम कितने ही प्रयत्न करते रह...
