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मैं खुद को तोड़ता मरोड़ता फिर से बनाता हूँ..

बचपन से जो कुछ भी सीखा है
और दुनिया ने सिखाया है 
उस ज्ञान को भुलाना चाहता हूँ 
और इसी चाहत में 
मैं खुद से रोज़ इक जंग लड़कर 
हार जाता हूँ,
मैं खुद को तोड़ता मरोड़ता फिर से बनाता हूँ ..

Sunday, 17 April 2016



एक बेतुकी सी प्रेम कहानी

प्रेम कहानी और वह भी बेतुकी सी. 
ज़िन्दगी अक्सर बेतुकी बातों में ही अपने छंद संजो जाती है, जिन्हें पाने के लिए हम कितने ही प्रयत्न करते रहते हैं.
कहानी शुरू होती है. एक सत्रह बरस का लड़का और चौदह बरस की लड़की.

Sunday, 10 April 2016